उत्तर प्रदेश स्वर्णकार बोर्ड का उद्देश्य

उत्तर प्रदेश स्वर्णकार बोर्ड का उद्देश्य समाज के लोगों को एक सूत्र में बांधकर समता-ममता एवं समरसता प्रदान करना एवं उनके हक के लिए सुरक्षात्मक कदम उठाना एवं समय-समय पर गोष्ठी का आयोजन करके समाज में फैली कुरीतियों को दूर करना है। सनातन धर्म, संस्कृति, राष्ट्र हित में सामाजिक कार्य करना है। गरीब कन्याओं का विवाह कराना एवं सरकार की योजनाओं को जन-जन तक पहुंचना है। समाज सेवा हेतु आप सभी के सहयोग की आवश्यकता है, अतः सभी भाईयों बहनों से निवेदन है कि समाज को एक सूत्र में पिरोने तथा अखंड विश्व स्वर्णकार बोर्ड की स्थापना के लिए हम सभी समाज के सेवक एक दूसरे से जुड़कर प्रयास करेंगे। भगवान नारायण का आशीर्वाद आप सबको प्राप्त हो यही ईश्वर के चरणों में कामना करते हुए आप सभी निवेदन है कि संस्था के सदस्य बने एवं अपनी श्रद्धानुसार आर्थिक सहयोग प्रदान करें।

स्वर्णकार बोर्ड के लक्ष्य एवं उद्देश्य

उत्तर प्रदेश स्वर्णकार बोर्ड भारत सरकार एवं नीति आयोग द्वारा रजिस्टर्ड राष्ट्रीय बोर्ड है। बोर्ड का स्वरूप सार्वजनिक रूप से मानवता की सेवा करने के लिए होगा बोर्ड की सेवाएं बिना किसी भेदभाव के सभी लोगों को सामान रूप से सुलभ होगी। सम्पूर्ण कार्य धार्मिक आधार पर बिना किसी भेदभाव के सेवा सहायता जाति भाव अथवा लिंग भेदभाव रहित होगा। बोर्ड की सेवाएं मानवीय उद्देश्यों की पूर्ति के लिए होगी। कार्यक्षेत्र-सम्पूर्ण भारत होगा। लक्ष्य एवं उद्देश्य स्वर्णकार बोर्ड स्वर्णकार समाज के उत्थान के लिए कार्य करने वाला एक उपक्रम है। जो समाज के शोषित वंचितो के लिए वरदान साबित होगा। मानवीय विकास को सर्वोपरि मानकर उत्तर प्रदेश स्वर्णकार बोर्ड समाज के सभी वर्गो, नारी-पुरूष बच्चों को समता-ममता समरसता प्रदान करते हुए समस्त प्राणियों की भलाई के लिए सामाजिक, शैक्षिक, व्यावसायिक, जनकल्याणकारी, सुरक्षात्मक, धार्मिक प्रतिष्ठानों का संचालन करना एवं संस्कार शालाओं, पाठशालाओं, वाचनालाओं, पुस्तकालयों, वैवाहिक गृहों व अन्य सामाजिक धार्मिक, आध्यात्मिक रिसोर्स केन्द्रों की स्थापना करना। युवा शक्ति निर्माण क्षमता कौशल विकास नेतृत्व विकास के लिये प्रशिक्षण की व्यवस्था करना एवं युवा विकास केन्द्रों का संचालन करना। शासन- प्रशासन के बीच सेतु का काम करना तथा शासन- प्रशाासन की योजनाओं एवं नीतियों का लाभ वंचितों, गरीब महिलाओं तक पहुंचाना एवं स्वर्णकार समाज के लिए धारा 411-412 का विरोध करना। स्वर्णकार बोर्ड में किसी भी जाति का सर्राफा व्यवसायी जो सर्राफा का कारोबार करता है उसको भी अपना सदस्य मानती है बिना भेदभाव का उनको भी पूर्ण सुरक्षा एवं संरक्षण देगी वह भी इस बोर्ड के सदस्य बनाएगी। समाज के प्रति भयंकर लूट-पाट डकैती, छिनैती, हत्या आदि के शिकार लोगों को न्याय एवं उचित सुरक्षा, व्यवस्था प्रदान करना। बोर्ड सरकार के सहयोग से स्वर्णकार समाज के लोगों के लिए राजनैतिक भागीदारी मंच तैयार करेगी एवं राजनैतिक पार्टियों से चुनाव के लिए प्रेरित करेगा एवं खुद की राजनैतिक मंच तैयार करेगा। बोर्ड, भारत देश के समस्त प्रांतों में स्वर्णकार समाज एवं ज्वैलर्स एसोसिएशन का सदस्य बनाकर ज्यादा से ज्यादा समाज के लोगों को बोर्ड द्वारा लाभ, सुरक्षा एवं संरक्षण प्राप्त कराएगी। बोर्ड द्वारा समाज के विकास के लिए साहित्यिक कला, वैज्ञानिक शोध, पुस्तकालय, वाचनालय की स्थापना करना एवं पीडीत समुदाय के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का संचालन करना। विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति हेतु सरकारी गैर सरकारी आर्थिक सहायता दान अनुदान प्राप्त करना एवं ऐसे सारे क्रिया कलापों का संचालन करना जिससे बोर्ड के उद्देश्यों की पूर्ति हो सकें। शैक्षणिक व व्यावसायिक पाठयक्रमों का संचालन करना इंजीनियरिंग व मेडिकल कालेजों का निर्माण करना एवं बोर्ड के उद्देश्यों की पूर्ति के लिये शैक्षणिक केन्द्रों भवनों छात्रावासों खेल के मैदानों आदि छात्रों के उपयोग हेतु निर्माण करना। स्थानीय संसाधनों का समुचित उपयोग कर रोजगार के संसाधनों को विकसित करना। ऐसे सभी कार्यक्रमों को संचालन करना जो समाज के बौद्धिक विकास, सामाजिकता समरसता, सौहार्द विश्वशक्ति परस्पर सहयोग, विश्वबन्धुत्व भाईचारा सामुदायिक सहयोग एवं स्वालम्बन में सहायक हो। लघु कुटीर उद्योग एवं खादी ग्रामोद्योग के उन्नयन हेतु प्रशिक्षण प्रदान कराना तथा उनके स्थापना एवं विकास हेतु कार्य करना जिसमें समाज के बेरोजगार लोगों को रोजगार मिल सके। लोगों में बढ़़ रही हिंसा की प्रवृत्ति को रोकने हेतु विधिक उपायों की खोज करना एवं धार्मिक आध्यात्मिक विचार गोष्ठियों के माध्यम से परिवर्तन लाने हेतु प्रयास करना। बोर्ड के उद्देश्यों से सहमत भारत देश का कोई भी सुयोग्य नागरिक निर्धारित सदस्यता शुल्क जमा कर बोर्ड के सदस्यता हेतु आवेदन कर सकते हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार बोर्ड का लक्ष्य एवं उद्देश्य

मानवीय विकास को सर्वोपरि मानकर उत्तर प्रदेश स्वर्णकार बोर्ड समाज के सभी वर्गो, नारी-पुरूष बच्चों को समता-ममता व समरसता प्रदान करते हुए समस्त प्राणियों की भलाई के लिए सामाजिक, शैक्षिक, व्यावसायिक, जनकल्याणकारी, सुरक्षात्मक, धार्मिक प्रतिष्ठानों का संचालन एवं संस्कार शालाओं, पाठशालाओं, वाचनालाओं, पुस्तकालयों, वैवाहिक गृहों व अन्य सामाजिक धार्मिक, आध्यात्मिक रिसोर्स केन्द्रों की स्थापना करते हुए, धर्म रक्षा, राष्ट्र रक्षा एवं मानवता की सेवा के लिए संकल्पित,भय भूख भ्रष्टाचार से मुक्त चरित्रवान समाज के निर्माण के लिए संकल्पित रहना। देश में समस्त सोने - चांदी का व्यवसाय करने वाले कारीगरों एवं शिल्पियों के व्यवसाय में वृद्धि करने, तत्सम्बन्धित कलाकारों की परम्परागत कला को संरक्षित और सम्वर्धित करते हुए, उनकी समाजिक सुरक्षा, आर्थिक सुदृढ़ता एवं तकनीकी विकास को बढ़ावा देने व विपणन आदि की सुविधा उपलब्ध कराने तथा परम्परागत उद्योगों को नवाचार के माध्यम से संरक्षित एवं संवर्धित करते हुए अधिकाधिक लोगों को रोजगार का अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ”उत्तर प्रदेश स्वर्णकार बोर्ड” को एक स्वशासी निकाय के रूप में गठित किया गया है। उद्योग जगत द्वारा सोने - चांदी का प्रयोग कर मूर्तियां, खिलौने, बर्तन, आभूषण इत्यादि वस्तुएं बनाने का प्रचलन सदियों से रहा है। आज भी पूरे देश में पर्याप्त संख्या में स्वर्णकार शिल्पी इस परम्परागत उद्यम में लगे हुये हैं। वर्तमान परिवेश में सोने - चांदी की वस्तुओं की मांग कम होने से एक तरफ परम्परागत कारीगरों के सक्षम रोजी रोटी की समस्या है, तो दूसरी तरफ सोने - चांदी के आवश्यक विकल्प के रूप में मेटल उत्पादों का प्रसार निरन्तर बढ़ रहा है | इस प्राचीन कला को संरक्षित करते हुए उक्त कला से निर्मित वस्तुओं को रोजगार युक्त कर आम जन तक पहुँचाने हेतु उत्तर प्रदेश स्वर्णकार बोर्ड का गठन किया गया है| उत्तर प्रदेश स्वर्णकार बोर्ड की योजनाओं का क्रियान्वयन लिए राष्ट्रीय स्तर, प्रदेश स्तरीय, जिला स्तरीय, तहसील स्तरीय और नगर स्तरीय पदाधिकारियों के माध्यम से किया जाएगा।

उत्तर प्रदेश सरकार बोर्ड के लक्ष्य एवं उद्देश्य

यह आपसी एकजुटता तभी सम्भव है जब सबका लक्ष्य एक हो, विचारधारा भी एक दिशा में हो, आपस में सहभागिता हो। लाखों वर्ष पूर्व भगवान रामजी की वानर-सेना के द्वारा बनाया हुआ सेतु मानो हमें यही सिद्धांत अपने मौन की भाषा में अब भी बता रहा है कि युग पुरुष भगवान श्री रामचन्द्र जी के मार्गदर्शन में एक ही प्रभु श्री राम नाम का सहारा लेकर, एक ही उद्देश्य, एक ही संकल्प के साथ पूरी वानर-सेना इस दैवीय कार्य में लग गयी तो विशाल समुद्र पर पुल बन गया। जय श्री राम।

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